नई दिल्ली. जेट एयरवेज को संकट से उबारने के लिए सरकार ने टाटा सन्स से मदद की अपील की है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में गुरुवार को यह बात सामने आई। इसके मुताबिक टाटा सन्स की सरकार से बात चल रही है। टाटा सन्स जेट एयरवेज पर सरकारी बैंकों के कर्ज में कमी चाहती है। साथ ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बकाया में भी छूट के लिए बात चल रही है। टाटा सन्स शुक्रवार को जेट में हिस्सा खरीदने की डील पर विचार कर सकती है।
टाटा सन्स और जेट एयरवेज की डील का स्ट्रक्चर क्या होगा। इस बारे में फिलहाल स्थिति साफ नहीं है। एक विकल्प यह बताया जा रहा है कि जेट को विस्तारा एयरलाइन के साथ मर्ज किया जा सकता है। टाटा सन्स सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर विस्तारा का संचालन करती है।
टाटा सन्स अगल जेट एयरवेज में निवेश करती है तो जेट आर्थिक संकट से बाहर आ सकती है। जुलाई-सितंबर तिमाही में जेट को 1,261 करोड़ रुपए का घाटा (कंसोलिडेटेड) हुआ। इसे मिलाकर तीन तिमाही में 3,656 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। जेट एयरवेज पिछले 11 में से 9 साल घाटे में रही है।
जेट एयरवेज का ईंधन खर्च जुलाई-सितंबर में 58.6% बढ़ा है। जेट फ्यूल महंगा होने और डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से जेट की मुश्किलें बढ़ी हैं। एयरलाइन पिछले कुछ महीनों से कर्मचारियों की सैलरी और लीजदाताओं के बकाया भुगतान में भी डिफॉल्ट कर रही है।
जेट में हिस्सेदारी खरीदने से टाटा ग्रुप को एविएशन बिजनेस में अच्छा विस्तार मिल सकता है। उसे बैंकॉक से लेकर एम्स्टर्डम तक के एयरपोर्ट पर पार्किंग स्लॉट, एयरक्राफ्ट का बेड़ा और भारत में जेट के नेटवर्क का फायदा मिलेगा। टाटा सन्स मलेशिया के एयरएशिया ग्रुप के साथ मिलकर लो कॉस्ट एयरलाइन का संचालन भी करती है।
सितंबर तक एयरलाइंस का मार्केट शेयर
इंडिगो | 43.2% |
जेट एयरवेज | 15.8% |
स्पाइसजेट | 12% |
एयर इंडिया | 11.8% |
गोएयर | 8.7% |
टाटा जेवी | 8.2% |
अन्य | 0.3% |
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