अनिल गुप्ता, बालाघाट/ छिंदवाड़ा. संघ शाखाओं को लेकर उपजे विवाद के बाद पहली बार शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी सभाओं में अपने भाषण का अंदाज बदलते हुए कांग्रेस पर तीखे हमले शुरू कर दिए। गुरुवार को कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली बालाघाट, छिंदवाड़ा जिले की सीटों पर ताबड़तोड़ संभाएं कर मुख्यमंत्री ने कांग्रेस से एक ही सवाल पूछा- कांग्रेसी अब क्या भागवत कथा और मंदिर में जाने पर भी पाबंदी लगाएंगे। सामाजिक व सांस्कृ़तिक संगठन पर रोक लगाने की बात कांग्रेस कैसे कर सकती है। कांग्रेस तो एक वर्ग विशेष का वोट हासिल करने के लिए बंद कमरों में गोपनीय बैठक तक कर रही है। कहती है कि सरकार में आए तो सब ठीक कर देंगे। मैं कांग्रेस की इस मानसिकता को ठीक कर दूंगा।
मुख्यमंत्री इस बार थोड़ा तल्ख भी नजर आए: उनका यह भी कहना था कि मुद्दों और विकास से हट कर कांग्रेस अपने मूल चरित्र पर आ गई है कि फूट डालो और सत्ता हासिल करो। बहरहाल सुबह नक्सल प्रभावित क्षेत्र लांजी के किरणापुर से सभा शुरू करते हुए शाम 6:00 बजे वे छिंदवाड़ा की सौसर सीट पर पहुंचे इस दौरे से यह साफ हो गया कि सीएम इस बार कांग्रेस की जीती हुई सीटों पर भी नजर रखे हुए हैं। लांजी के बाद परसवाड़ा, केवलारी और इसके बाद कमलनाथ के घर छिंदवाड़ा पहुंचे। सभा के दौरान बातचीत में मुख्यमंत्री ने यह संकेत भी दिए कि भाजपा में जितने भी असंतुष्ट मैदान में हैं, उनसे पार्टी उम्मीदवारों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एक-दो दिन बाद कार्यकर्ता उनके पीछे से हट जाएंगे फिर हर असंतुष्ट हजार-दो हजार और ज्यादा से ज्यादा पांच हजार वोटों का आदमी रह जाएगा।
हेलिकॉप्टर छोड़ा, सड़क से सौसर गए: छिंदवाड़ा जिले की चौरई विधानसभा के चांद क्षेत्र में सीएम ने कमलनाथ को मिस्टर कमलनाथ कह कर टारगेट किया। लगातार सभाएं करने के कारण वे चांद क्षेत्र में शाम 5:00 बजे पहुंचे। चुनावी आचार संहिता के कारण यहां उनको हेलिकॉप्टर छोड़ना पड़ा। इसके बाद सड़क के रास्ते वे सौसर के लिए निकले।
चाय से गला तर करते हैं, एक चौथाई गोली खा कर सिर दर्द दूर भगाते हैं : भोपाल स्टेट हैंगर से विमान द्वारा गोंदिया की विरसा हवाई पट्टी पहुंचने के बाद हेलिकॉप्टर से मुख्यमंत्री सीधे किरणापुर पहुंचे। यह बालाघाट का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, जहां कड़ी सुरक्षा के बीच कार्यक्रम हुआ। स्थानीय सांसद बोध सिंह भगत ने खाली वक्त में बालाघाट और आसपास के तमाम सीटों का फीडबैक मुख्यमंत्री को दिया। इसके बाद वे सीएम के साथ परसवाड़ा पहुंचे। यहां गौरीशंकर बिसेन ने सीएम की अगवानी की। भाजपा में क्षेत्रीय माहौल से यह साफ हो गया कि बिसेन और भगत के बीच की खटास अभी कम नहीं हुई है। हालांकि सीएम ने इस पर बिल्कुल भी चर्चा नहीं की और कांग्रेस की तैयारियों का हल्का फुल्का माहौल पूछा।
शाह का राहुल-मनमोहन पर अटैक मौन मोहन ने मप्र को क्या दिया
बड़वानी/बड़नगर/शाजापुर. भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने आचार संहिता लगने के बाद मप्र में अपने चुनावी दौरे की शुरुआत बड़वानी से की। इसके बाद वे शाजापुर, बड़नगर भी गए। यहां उन्होंने राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कई कटाक्ष किए। मनमोहन सिंह को उन्होंने मौनी बाबा कहकर संबोधित किया। शाह ने कहा कि मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जिसने जीरो प्रतिशत पर किसानों को ऋण दिया। सस्ती बिजली दी। मौन मोहन ने क्या दिया। राहुल बाबा दिन में सपने देख रहे हैं। कांग्रेस ने जो 70 साल में नहीं किया, वो भाजपा सरकार ने कर दिखाया। हमें 6 साल और दीजिए। इसे समृद्ध प्रदेश बना देंगे। शाह ने कहा कि मौन मोहन सरकार ने दस साल में मप्र के लिए 1 लाख 34 हजार करोड़ रुपए दिए, जबकि मोदी सरकार ने 3 लाख 44 हजार करोड़ रुपए दिए।
सिर्फ 5 हजार ही पहुंचे : शाजापुर में शाह की सभा में 50 हजार लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया था, पर यहां दस हजार कुर्सियां लगाई गईं। इनमें भी आधी ही बिछीं और वह भी खाली रह गईं।
कांग्रेस सरकार आई तो रुक जाएगा रेल का काम : बड़वानी : शाह आदिवासी जिले बड़वानी में कहा कि बड़वानी आने से पहले मैं एयरपोर्ट पर राहुल गांधी का भाषण देख रहा था। राहुल बाबा मोदी-मोदी कर रहे थे। मुझे लगता है कि राहुल बाबा को मोदी फोबिया हो गया है। वे सत्ता में आने पर क्या करेंगे ये नहीं बताते। मोदी सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए में इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन डालने का काम शुरू किया है लेकिन यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ गई तो रेल लाइन बंद कर देगी।
कमलनाथ का पलटवार - शिवराज ने कर्ज में डुबोया, अगली सरकार के लिए खजाने में कुछ नहीं, 1. 92 लाख करोड़ का कर्ज
भोपाल . प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर विकास के नाम पर कर्ज लेकर देश को कर्ज में डुबोने का आरोप लगाया है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार उधार लेकर घी पी रही है। पहले से ही लगभग एक लाख 92 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी सरकार बाजार से फिर दो हजार करोड़ का कर्जा ले रही है।
कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में खराब वित्तीय प्रबंधन की अति हो चुकी है। सरकार के पास पेंशन और वेतन बांटने के लिये भी पैसा नहीं बचा। चुनाव के समय जनता को दिखाने के लिए शुरू किए विकास कार्य अधूरे पड़े हैं, क्योंकि ठेकेदारों के बिल पैसे की कमी और भ्रष्टाचार के कारण अटके पड़े हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष में सरकार पहले ही सात हजार करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है।
कमलनाथ ने कहा कि अब दो हजार करोड़ रुपए फिर से लेने के बाद 2018 में लिए जाने वाले कर्ज की राशि नौ हजार करोड़ रूपए हो जाएगी। उन्होंने कहा सरकार वित्तीय संकट से जूझ रही थी, लेकिन शिवराज ने चुनाव आचार संहिता लगने के पहले हजारों करोड़ की घोषणाएं बिना सोचे-समझे कर डाली। अगली सरकार के लिये खजाने में कुछ नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने विकास कार्यों के नाम पर धड़ाधड़ कर्ज लिया है। जनता सरकार से हिसाब जानना चाहती है कि अभी तक एक लाख 90 हजार करोड़ में कौन सा विकास हुआ है। कर्ज की राशि का कहां उपयोग व खर्च हुआ? वर्तमान में कुल कितने ब्याज का भार प्रदेश पर है? सिर्फ जनता के साथ धोखा हुआ है।
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