रायपुर. छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर मतदान किया। और यह जतला दिया कि लोकतंत्र की असली ताकत उनमें छिपी हुई है। लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण काम तो वोट देना ही है और इस जिम्मेदारी को महिलाओं ने बखूबी पूरा किया। वे अपने दुधमुंहे बच्चों को लेकर वोट डालने आईं और घंटों लाइन में खड़े रहकर इंतजार किया।
सौ साल की अम्मा भी वोट देने आई। लकवाग्रस्त होने के बावजूद एक महिला व्हील चेयर पर आई। जहां जरूरत पड़ी वहां महिलाएं मीलों पैदल चलकर आईं, घुटनों तक बहते नाले पार कर आईं, नाव की मदद से नदी पार कर आईं। जहां नक्सलियों ने बहिष्कार का फरमान जारी किया था, वहां भी वोट देने आईं, भले ही बाद में उन्हें पत्थर से स्याही का निशान मिटाना पड़ा।
महिलाएं मतदान दल में शामिल रहीं। वे सुरक्षाबलोें में शामिल रहीं। प्रशासनिक अफसरों मेें शामिल रहीं। बस एक ही कमी खटकी कि वे प्रत्याशियों में कम रहीं। हमारे समाज की तरह हमारी राजनीति में भी अभी तक पुरुषों का वर्चस्व है। वे अपना एकाधिकार खोना नहीं चाहते। इसीलिए पंचायतों और निकायों से आगे उन्होंने राजनीति में आरक्षण की इजाजत नहीं दी है।
हालांकि इसके बाद भी महिलाएं राजनीति में आ रही हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में वोटरों की तरह, प्रत्याशियों की कतार में भी महिलाओं की संख्या सम्मानजनक होगी।
कांग्रेस के खिलाफ उतरे 5 निर्दलीय प्रत्याशी 6 साल के लिए निष्काषित
पहले चरण की वोटिंग से निपटने के बाद अब दलों के पदाधिकारियों ने बगावत, भितरघात की आशंकाओं पर काम शुरू कर दिया है। मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पांच निर्दलीयों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है।
नोबेल वर्मा की पत्नी सुमन वर्मा चंद्रपुर सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। इस वजह से नोबेल व नितेश वर्मा को छह साल के लिए निष्काषित कर दिया गया है। धमतरी विधानसभा में बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेता आनंद पवार आैर निशू चंद्राकर को पार्टी ने छह साल के लिए निष्काषित कर दिया है। माना जा रहा कि पीसीसी की ये कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
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