मुंबई. चालू वित्त वर्ष (2018-19) की दूसरी छमाही में महंगाई दर नरम बनी रहने की उम्मीद है। ऐसे में रिजर्व बैंक के लिए रेपो दर में बढ़ोतरी करने की बहुत कम गुंजाइश दिख रही है। अभी यह 6.5% है। आरबीआई इसे मार्च तक इसी स्तर पर बनाए रख सकता है। यह अनुमान कोटक इकोनॉमिक रिसर्च ने एक रिपोर्ट में जताया है।
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में 13 महीने में सबसे कम 3.31% दर्ज हुई है। यह सितंबर 2018 में 3.7% और अक्टूबर 2017 में 3.58% थी। सितंबर 2017 में यह 3.28% थी। रिपोर्ट में इस वित्त वर्ष की बाकी अवधि में खुदरा महंगाई दर 2.8 से 4.3% के बीच रहने का अनुमान जताया गया है।
रिपोर्ट में ऐसे कारण भी हैं जिनसे खुदरा महंगाई बढ़ने का अंदेशा है। इनमें फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, क्रूड में उछाल, बाजारों में उतार-चढ़ाव, रुपए की कमजोरी, राजकोषीय घाटा बढ़ने और राज्यों द्वारा कर्मचारियों के एचआरए में बढ़ोतरी शामिल हैं।
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