Saturday, 24th May 2025

छत्तीसगढ़ / कैंप से साथियों के साथ हंसी मजाक करते हुए निकले थे नक्सली हमले में शहीद जवान महेंद्र

Mon, Nov 12, 2018 8:07 PM

  • काेयलीबेड़ा के गट्‌टाकाल-गोमे के बीच नक्सलियों ने रविवार को किया था 7 आईईडी ब्लास्ट
  • जवानों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक बीएसएफ जवान शहीद हो गए थे

 

कांकेर.  नक्सली हमले में शहीद हुए बीएसएफ के एसआई महेंद्र सिंह खुश रहने वाले जांबाज थे। रविवार को कोयलीबेड़ा थाने के गट्टाकाल-गोमे के बीच हुए नक्सली हमले में उनको गोली लगी थी। इससे पहले नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को निशाने पर लेकर विस्फोट किया था। महेंद्र विस्फोट की जद में आ गए। लेकिन, इसमें उनको हल्की चोटें आईं। वह तुरंत खड़े हाे गए और जवाबी कार्रवाई के लिए मोर्चा संभालने लगे। हालांकि, तुरंत बाद घात लगाए नक्सलियों ने महेंद्र सिंह पर फायरिंग कर दी। इसमें एक गोली उनके शरीर को भेदते हुए पार कर गई।  

बुलेटप्रूफ जैकेट से एक इंच ऊपर लगी गोली शरीर को भेदते हुए बाहर आई

  1.  

    एसआई ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहन रखी थी। इसके बावजूद गोली बुलेटप्रुफ जैकेट से ठीक एक इंच ऊपर दाहिनी ओर कॉलर बोन के नीचे लगी और शरीर को भेदते पीठ से बाहर आ गई। गोली अगर एक इंच नीचे लगती तो आज जांबाज एसआई नक्सलियों से लोहा लेने के लिए मैदान में होता। गोली लगने के बाद उदनपुर कैंप में घायल एसआई को रायपुर ले जाने की तैयारी के दौरान वे शहीद हो गए। 

     

  2.  

    इसके बाद शव को हेलीकॉप्टर से दोपहर एक बजे कांकेर लाया गया। शहीद एसआई को एसपी केएल ध्रुव समेत बीएसएफ और पुलिस के अन्य अफसरों, जवानों ने सलामी दी। शव को रायपुर के लिए रवाना किया गया जहां से शव को फ्लाइट से राजस्थान के लिए रवाना किया जाएगा।

     

  3.  

    शहादत के कुछ घंटे पहले जब महेंद्र उदनपुर कैंप से गश्त करने निकले तब भी साथियों के साथ हंसी मजाक करते आगे बढ़े। गश्त करते रात जंगल में काटी। रविवार सुबह नक्सलियों ने उनकी टीम पर हमला कर दिया। एक के बाद एक लगातार 7 विस्फोट किए। एसआई घायल हुए लेकिन पीछे नहीं हटे। नक्सलियों का सामना करते हुए आगे बढ़े। 

     

  4. एक-दूसरे से कनेक्ट नहीं किए थे बम 

     

    इस विस्फोट में नक्सलियों ने वर्तमान में लगाए जा रहे सीरियल बम का इस्तेमाल नहीं किया। जो बम लगाए गए थे वे अलग-अलग एेसे जगह प्लांट किए गए थे, जहां जवान मोर्चा ले सकते थे। एक के बाद एक 7 विस्फोट हुए। आपस में एक दूसरे से कनेक्ट नहीं थे। इसके बाद फायरिंग भी शुरू हुई। आशंका जताई जा रही है मौके पर नक्सलियों की संख्या अधिक रही होगी।

     

  5. डेढ़ साल पहले हुई थी शादी

     

    मूलत: डुमरिया थाना रूदवाल, जिला भरतपुर (राजस्थान) के निवासी शहीद एसआई महेंद्र का जन्म 15 जुलाई 1991 को हुआ था। बीएसएफ में भर्ती 29 जुलाई 2013 को हुई थी। साथियों ने बताया कि डेढ़ साल पहले ही शादी हुई थी। 

     

  6. महेंद्र कहते थे- नक्सलियों से सामना हुआ तो पीठ दिखा मैदान नहीं छोड़ूंगा 

     

    साथ रहने वाले एसआई सी प्रसन्ना, कांस्टेबल मंदीप कुमार व अन्य जवानों ने बताया कि एसआई महेंद्र सिंह हमेशा ड्यूटी के लिए तैयार रहते थे।

     

    अक्सर कहते थे: 

    मैं हमेशा नक्सलियों से सामना करने तैयार हूं। कभी सामना हुआ तो पीठ दिखा मैदान नहीं छोड़ूंगा। महेंद्र अपनी रायफल का मुंह भी हमेशा सीधे रखते थे ताकि आमना-सामना हो तो मौका न चूकते हुए तुरंत नक्सलियों को शूट किया जा सके। 

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery