रिलिजन डेस्क. मंगलवार, 13 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी है। इस दिन छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है और सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है। सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के बजाय अगर केवल सूर्य की ही आराधना की जाए और नियमित रूप से अर्घ्य (जल चढ़ाना) दिया जाए तो कई लाभ मिल सकते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए छठ पूजा के दिन सूर्य को प्रसन्न करने के लिए जल चढ़ाने की सही विधि...
इस विधि से चढ़ाएं सूर्य को जल
- रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
- जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का ही उपयोग करना चाहिए, क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है।
- जल में चावल, रोली, फूल पत्तियां (यदि गुलाब की हो तो सर्वश्रेष्ठ है) भी डाल लेना चाहिए।
- इसके बाद जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करें।
- गायत्री के साथ ही सूर्यदेव के 12 नाम वाले मंत्र का जाप कर सकते हैं। ये 12 नाम का मंत्र-
मंत्र
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।
सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्।।
सूर्य को जल चढ़ाने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ
- सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की जो धारा जमीन पर गिर रही है, उस धारा से सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।
- अर्घ्य देने के बाद जमीन पर गिरे पानी को अपने मस्तक पर लगाना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने के सुबह जल्दी उठना चाहिए। जल्दी उठने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।
- दिनभर काम करने के लिए समय ज्यादा मिलता है। जल चढ़ाने के लिए घर से बाहर जाना पड़ता है। ऐसे में सुबह-सुबह के वातावरण का लाभ सेहत को मिलता है।
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