रायपुर. कांग्रेस के एक नेता ने गुंडरदेही से विधायक चुनाव लड़ने के लिए बड़े पद से इस्तीफा दे दिया। चुनाव में टिकट के लिए खूब दौड़-भाग भी की। संगठन के एक आला नेता ने उन्हें भरोसा भी दिलाया था कि इस बार गुंडरदेही का टिकट उनके नाम ही कटेगा। उनके अलावा कोई और दमदार नेता वहां नहीं है। लेकिन जब टिकट बांटने की बारी आई तो नेता जी की सारी उम्मीदें धरी रह गईं। विधायक चुनाव लड़ने का उनका सपना अधूरा रह गया, क्योंकि टिकट किसी और के नाम आ गया। ऐसे में नेता जी के लिए छत्तीसगढ़ी कहावत फिट बैठती है कि 'न दूध मिलिस, न दुहना'।
इस सीआर के मायने अलग हैं
आप नौकरी करते हैं तो सीआर का मतलब निकालेंगे कांफिडेंशियल रिपोर्ट। वन्य प्राणियों की बात करें तो सियार। सियार को चतुर प्राणी माना जाता है। लेकिन हम जिस सीआर की बात कर रहे हैं, वह आजकल काफी चर्चा में है। वैसे मामला कांफिडेंशियल ही है, लेकिन रिपोर्ट नहीं है। दरअसल, एक चर्चित सीट पर उम्मीदवार उतारने-बैठाने में सीआर का बड़ा खेल हुआ है। अब बता भी देते हैं। सीआर यानी करोड़। हां तो इस चर्चित सीट से जो नेताजी उतरे हैं, उन्हें एक विरोधी दल के उम्मीदवार से नुकसान हो सकता था। नेताजी ने सीआर निकाली तो मामला सैटल हो गया। अब तो समझ गए होगे न कैसे सियार की तरह चतुराई से सीआर की मदद ली गई।
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