Saturday, 24th May 2025

CIC का आरबीआई गवर्नर को कारण बताओ नोटिस

Mon, Nov 5, 2018 7:35 PM

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह नोटिस जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की सूची सार्वजनिक करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के मामले में जारी किया गया है।

सीआईसी ने प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंकसे फंसे कर्जों यानी एनपीए को लेकर पूर्व गर्वनर रघुराम राजन की ओर से लिखा पत्र सार्वजनिक करने को भी कहा है।सीआईसी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 50 करोड़ रुपए या उससे ज्यादा का बैंक कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाने वालों के नाम सार्वजनिक करने के संबंध में आरबीआई द्वारा सूचना नहीं उपलब्ध कराने पर नाराजगी जताई है।

सीआईसी ने नोटिस जारी करते हुए पटेल से कहा कि अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के मामले में उन पर अधिकतम जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें उन्होंने विलफुल डिफॉल्टर्स का नाम सार्वजनिक करने को कहा था।

सीआईसी ने 20 सितंबर को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) में पटेल के बयान का हवाला भी दिया। इसमें पटेल ने कहा था कि सतर्कता पर सीवीसी की ओर से जारी दिशानिर्देश का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देना तथा उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले संगठनों में प्रशासनिक बेहतरी लाना है।

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा, "आरटीआई नीति को लेकर आरबीआई गवर्नर व डिप्टी गवर्नर की बातों और उनकी वेबसाइट की जानकारियों में कोई मेल नहीं है। जयंती लाल मामले में सीआईसी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद भी सतर्कता और निरीक्षण से जुड़ी रिपोर्टों में अत्यधिक गोपनीयता बरती जा रही है।"

सूचना आयुक्त ने कहा कि आदेश का पालन नहीं करने के मामले में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को दंडित करने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी क्योंकि उन्होंने शीर्ष अधिकारियों के निर्देश पर कार्य किया।

आचार्युलू ने कहा, "आयोग आरबीआई गवर्नर को डीम्ड पीआईओ मानता है, जो नाम सार्वजनिक नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट एवं सीआईसी के आदेशों को नहीं मानने के लिए जिम्मेदार हैं। आयोग उन्हें 16 नवंबर 2018 से पहले इसकी वजह बताने का निर्देश देता है कि इन कारणों को देखते हुए उनके खिलाफ क्यों न अधिकतम जुर्माना लगाया जाए?"

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