वाराणसी। सत्रह साल से वतन वापसी की राह देख रहे जलालुद्दीन को रिहाई के रूप में रविवार को दीपावली का तोहफा मिला। बनारस के केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे पाकिस्तान के इस नागरिक को 17 साल बाद रिहा कर दिया गया। वह पुलिस की स्पेशल टीम के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच अमृतसर के लिए रवाना हो गया।
स्पेशल टीम सोमवार को अमृतसर में वाघा बार्डर पर पहुंचेगी, जहां जलालुद्दीन को पाकिस्तान के हवाले किया जाएगा। जलालुद्दीन केंद्रीय कारागार से अपने साथ श्रीमद्भागवत गीता के अलावा इंटर से एमए तक की डिग्रियां ले गया है। विभिन्न कागजी अड़चनों के चलते एक साल से उसकी रिहाई अटकी हुई थी।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत केठट्ठी जिले के बिलालनगर कॉलोनी थाना गरीबाबाद निवासी जलालुद्दीन उर्फ जलालु को 2001 में वाराणसी छावनी क्षेत्र में एयरफोर्स ऑफिस के पास से गोपनीय दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से वाराणसी के सैन्य ठिकानों समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के नक्शे बरामद हुए थे।
साल 2003 में जलालुद्दीन को कोर्ट ने जासूसी सहित विभिन्न आरोपों में 33 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले को लेकर उसने हाई कोर्ट में सारे मुकदमों को एक साथ कर सजा की गुहार लगाई थी। उच्च न्यायालय ने सुनवाई के बाद जलालुद्दीन की सजा को कम कर 16 साल कर दिया था।
भारत में हुआ पोस्ट ग्रेजुएट
सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक अंबरीश गौड़ ने बताया कि जलालुद्दीन जेल में जब आया था, तब हाईस्कूल ही पास था। जेल में सजा काटने के दौरान उसने इंटरमीडिएट, बीए और एमए की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान उसने इलेक्ट्रिशियन का कोर्स भी पूरा किया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह कि जेल में जलालुद्दीन की जिंदगी ही बदल गई।
इसका सुबूत है रिहाई के बाद वतन लौटते समय उसके सामान में श्रीमद्भगवत गीता का भी शामिल रहना। वह जेल में रहकर गीता पढ़ता था। इतना ही नहीं तीन साल से वह जेल में आयोजित क्रिकेट जेपीएल में अंपायरिग भी कर रहा था।
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