कोलकाता। तीरंदाजी विश्व कप फाइनल्स में बिना कोच के कांस्य पदक जीतने वाली दीपिका कुमारी का कहना है कि टीम को विश्व चैंपियनशिप के पहले विदेशी कोच की जरूरत नहीं है। अगर अभी विदेशी कोच उपलब्ध कराया जाता है तो इससे उनकी तैयारियों में दिक्कत पैदा होगी।
दीपिका ने सितंबर में तुर्की में हुए विश्व कप फाइनल्स में लिजा उनरू को हराकर कांस्य पदक जीता था। साई के निर्देश के आधार पर काम करने के दौरान भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) पिछले महीने हुए विश्व कप फाइनल से पहले तीरंदाज अभिषेक वर्मा, ज्योति सुलेखा और दीपिका के लिए कोच का इंतजाम नहीं कर सका था। द्रोणाचार्य अवॉर्ड को लेकर हुए विवाद के कारण जीवनजोत सिंह तेजा ने कोच पद से इस्तीफा दे दिया था। एएआई के इस रवैये से खिलाड़ियों को हताशा हुई थी।
इंडियन ओपन इंडोर आर्चरी टूर्नामेंट के समापन समारोह से इतर दीपिका ने कहा, मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती (विश्व कप फाइनल में कोच न दिए जाने पर)। हमें राष्ट्रीय कोच की आवश्यकता है, लेकिन अभी भारत में हमारे पास ज्यादा कोच नहीं हैं। अच्छे कोच उभरते खिलाड़ियों को तैयार करने में लगे हुए हैं।
दीपिका से जब पूछा गया कि क्या विदेशी कोच के आने से समस्या हल हो जाएगी तो महिला तीरंदाज ने कहा, अगर हम इस समय विदेशी कोच रखते हैं और वे हमें नई चीजें सिखाएंगे तो इससे मदद नहीं मिलेगी। हमने पहले ही कुछ तय तकनीकों पर काम किया है। अगर आप अचानक उसे बदल देंगे तो उनमें महारत हासिल करने में तीन-चार साल का समय लग जाएगा। हमें अपनी फॉर्म को बेहतर करने की जरूरत है और साथ ही मानसिक तौर पर मजबूत होने की भी जरूरत है।
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