श्रीनगर. घाटी में जैश-ए-मोहम्मद के स्नाइपर हमले सुरक्षा एजेंसियों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि करीब 3 ऐसे प्रशिक्षित स्नाइपर घाटी में हैं, जो हमले कर रहे हैं। इन हमलों से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ रही है। इन हमलावरों ने पिछले 40 दिन में 3 जवानों की जान ली है।
अधिकारी के मुताबिक, इस तरह का पहला हमला 18 सितंबर को हुआ, इसमें सीआरपीएफ का एक जवान घायल हुआ था। इसके बाद त्राल और नौगाम में हमले में सशस्त्र सीमा बल, सीआरपीएफ और सेना के जवान शहीद हुए।
खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि 2 बडी ग्रुप में जैश के स्नाइपर घाटी में सितंबर की शुरुआत में दाखिल हुए। दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में ओवरग्राउंड वर्कर्स ने इन्हें घुसपैठ में मदद की।
अधिकारियों का कहना है कि इन स्नाइपर्स को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ट्रेनिंग दी है। इन्हें एम-4 कार्बाइन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है ताकि ये घाटी मेें स्नाइपर हमलों को अंजाम दे सकें। इस कार्बाइन का इस्तेमाल अफगानिस्तान में यूएस के जवान करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इस बात की भी संभावना है कि ये हथियार अफगानिस्तान में संयुक्त सेनाओं से लड़ाई के दौरान हासिल किए गए हों, जहां जैश के आतंकी तालिबानियों के साथ मिलकर जंग लड़ रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि इन हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान की विशेष सेनाएं भी करती हैं।
कहा जा रहा है कि स्नाइपर हमलों का एक पैटर्न हैं। जैश के स्नाइपर सेना के कैंपों के आसपास की पहाड़ियों से जवानों पर हमला करते हैं। हमला तब किया जाता है, जब जवान अपने घर या दोस्तों से बात करने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। ये स्नाइपर मोबाइल की लाइट के जरिए जवानों पर फायर करते हैं।
अधिकारी ने बताया कि एम-4 कार्बाइन टेलिस्कोपिक होती है। आतंकवादी अपने टारगेट को तलाशने के लिए नाइट विजन का इस्तेमाल करते हैं। इस हथियार के जरिए 500-600 मीटर की दूरी पर मौजूद टारगेट पर भी निशाना लगाया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने इन स्नाइपर हमलों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि हम इस तरह के हमलों का सीमा, एलओसी पर सामना करते रहे हैं। इनके लिए हमारे पास विशेष कार्ययोजना भी है। लेकिन, भीतरी इलाकों में ऐसे हमले सामने नहीं आए। इनके चलते हमें अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर दोबारा विचार करना पड़ेगा।
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