Saturday, 19th July 2025

सतपुड़ा डैम / प्रदेश के जलस्रोतों पर चाइनीज झालर खरपतवार का अटैक, सारनी का सतपुड़ा डैम पूरी तरह से ग्रसित

Fri, Oct 26, 2018 6:26 PM

डैम के पानी का वाष्पीकरण 7 गुना बढ़ा, खरपतवार नहीं हटी तो कुछ ही दिनों में बिजली उत्पादन को भी नहीं मिल पाएगा पानी

 

अक्षय जोशी, सारनी .पूरे मध्यप्रदेश के रिजर्व वाटर वाले जलस्रोतों (तालाब, पोखर, डैम, नदी, एनीकट) पर विदेशी खरपतवारों का अटैक हो गया है। पिछले छह माह में यह हद से ज्यादा बढ़ गया है। सारनी के सतपुड़ा डैम में अचानक चाइनीज झालर, जलकुंभी की तादात को बढ़ते देख प्रबंधन ने इसका सर्वे कराया तो यह बात सामने आई की प्रदेश के सभी जलस्रोतों पर खरपतवार का अटैक है।

 

खतरनाक बात यह है कि सतपुड़ा डैम के 2,899 एकड़ का सारा एरिया इसकी चपेट में है। यदि जल्द ही इसका निदान नहीं हुआ तो बिजली उत्पादन तो दूर पीने को तक पानी नहीं मिलेगा। वहीं पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण जलीय जीवों का जीवन खतरे में है। वहीं पानी इतना प्रदूषित हो जाएगा की पीने लायक नहीं रहेगा। वहीं दूसरी सबसे बड़ी हैरानी की बात यह भी सामने आई कि खरपतवार के अटैक से डैम के पानी का वाष्पीकरण 24 घंटे में 7 गुना ज्यादा हो रहा है। इससे भी पानी खत्म हो जाएगा।

पानी में आक्सीजन की मात्रा हो जाएगी खत्म-  सतपुड़ा डैम में जलकुंभी फैलने से परेशान प्रबंधन ने इसकी जानकारी जबलपुर स्थित खरपतवार अनुसंधान निदेशालय को दी। इसके बाद अप्रैल में दो वैज्ञानिक सारनी आए और प्रारंभिक सर्वे किया। मगर, अक्टूबर में यह एकदम तेजी से बढ़ गई। इसके बाद प्रबंधन ने निदेशालय की टीम को इसकी जानकारी दी। तीन दिनों तक टीम ने विभिन्न हिस्सों का सर्वे किया। इससे यह बात सामने आई कि डैम पूरी तरह से अंदर और ऊपरी क्षेत्र से खरपतवारों से ग्रसित हो गया है। टीम के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार और डॉ. वीके चौधरी की टीम ने सर्वे के बाद बताया कुछ ही दिनों में यदि प्रबंधन ने सचेत होकर इन्हें हटाने में तत्परता नहीं दिखाई तो प्लांट को पानी नहीं मिल पाएगा और पानी दूषित भी हो जाएगा। वहीं पानी में आक्सीजन की मात्रा खत्म होने से जलीय जीवों का जीवन संकट में आ जाएगा।


 इन खरपतवारों का है अटैक-  वाटर हाईथेंस यानी जलकुंभी और साल्विनिया मोलेस्टा यानी चाइनीज झालर का यहां ज्यादा प्रकोप है। इसके अलावा यहां एलिगेटर बीट, आइकेनिया, हाईड्रिला, वट्रीर्सीलाटा, टाइफा बीट जैसी खरपतवारों के लक्षण भी मिले हैं। वहीं डैम का पानी तलहटी से लेकर सरफेस तक दूषित हो रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया बैतूल जिले के सारनी में सतपुड़ा डैम और भोपाल के बड़े तालब में इस तरह की खरपतवारों पर रिसर्च चल रहा है। आने वाले दिनों में ये आरक्षित जलस्रोतों के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रही हैं। 

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