ईश्वरसिंह परमार,शाजापुर। विधानसभा चुनाव के पहले शाजापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस में दो पूर्व मंत्रियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। एक खुद के लिए तो दूसरे अपने खास समर्थक के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। ऐसे में दिल्ली से लेकर भोपाल तक जोर-आजमाइश चल रही है।
कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के यहां ये नेता पहुंच चुके हैं। समर्थकों के बीच भी सोशल मीडिया पर तीखी बहस चल रही है। ऐसे में चुनाव से पहले टिकट की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।
15 साल पहले दिग्विजय सिंह सरकार में सज्जनसिंह वर्मा और हुकुमसिंह कराड़ा मंत्री रह चुके हैं। वर्मा देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे, इसलिए उनका दखल शाजापुर-आगर जिले में भी खासा है। पिछले 10 साल में जिले में कांग्रेस में वर्मा गुट भी बन गया, जो अब दूसरे गुटों को मात देने में जुटा है। इधर, कराड़ा की राजनीति जिले से ही शुरू हुई। लगातार छह बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और सातवीं बार भी दावेदारी कर रहे हैं। पेंच इसी में अटका हुआ है, क्योंकि इस बार वर्मा गुट भी टिकट चाह रहा है।
ऐसे में जुबानी जंग शुरू हो चुकी है। राजनीति से जुड़े जानकार मानते हैं कि ये टिकट की नहीं, बल्कि वर्चस्व की लड़ाई हो गई है। दोनों पूर्व मंत्रियों में से जिसे टिकट मिलेगा, उसका जिले की राजनीति में दबदबा बढ़ जाएगा। इसलिए टिकट की लड़ाई सड़क तक उतर गई है।
शुजालपुर सीट पर भी कश्मकश
शाजापुर विधानसभा के साथ ही जिले की शुजालपुर सीट पर भी भारी कश्मकश की स्थिति है। दरअसल, इस सीट पर कांग्रेस से दो ऐसे दावेदार ताल ठोंक रहे हैं, जो पिछले चुनाव में आमने-सामने हो चुके हैं। इनमें अभा कांग्रेस सचिव महेंद्र जोशी और जिले में कद्दावर नेता रहे स्व. मनोहरसिंह यादव के पुत्र योगेंद्रसिंह बंटी बना शामिल हैं। बीते चुनाव में जोशी कांग्रेस के उम्मीदवार थे, जबकि बंटी बना बागी हो गए थे।
इससे कांग्रेस इस सीट पर चुनाव हार गई थी। अबकि बार फिर से इन दोनों ने दावेदारी की है। इसलिए शुजालपुर सीट को लेकर भोपाल से दिल्ली तक सुर्खियां बनी हुई है।
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