Friday, 23rd May 2025

शरद पूर्णिमा / इस दिन की जाती है देवी लक्ष्मी की पूजा, व्रत करने से मिलती है लंबी उम्र

Tue, Oct 23, 2018 7:37 PM

रिलिजन डेस्क. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस पूर्णिमा पर महालक्ष्मी की आराधना कर व्रत भी किया जाता है। इस बार यह व्रत 24 अक्टूबर, बुधवार को है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो मनुष्य शरद पूर्णिमा का व्रत विधि-विधान तथा पूर्ण श्रद्धा से करता है उस पर माता लक्ष्मी की कृपा होती है और उम्र भी लंबी होती है।

व्रत से जुड़ी खास बातें

  1. इस विधि से करें शरद पूर्णिमा का व्रत

     

    शरद पूर्णिमा की सुबह स्नान आदि करने के बाद अपने आराध्य देव की पूजा करें। अगर स्वयं न कर पाएं तो किसी योग्य ब्राह्मण से पूजा करवाएं।

     

    • आधी रात के समय गाय के दूध से बनी खीर का भोग भगवान को लगाएं। खीर से भरे बर्तन को रात में खुली चांदनी में रखना चाहिए।
    • इसमें रात के समय चंद्रमा की किरणों के द्वारा अमृत गिरता है, ऐसी मान्यता है। पूर्ण चंद्रमा के मध्याकाश में स्थित होने पर उसका पूजन कर अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। 
    • इस दिन कांसे के बर्तन में घी भरकर ब्राह्मण को दान देने से मनुष्य ओजस्वी होता है। ऐसा धर्म शास्त्रों में लिखा है।

     

  2. इसलिए खाते हैं शरद पूर्णिमा की रात खीर...

     

    शरद पूर्णिमा की रात खीर खाने की परंपरा है। शरद पूर्णिमा की रात चांद अपनी पूरी सुंदरता बिखेरता है। इस रात चांद से निकलने वाली शीतल किरणें हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं।

     

    • धार्मिक मान्यता है कि इस रात चांद से अमृत बरसता है। इस रात खुले आसमान के नीचे खीर बनाई जाती है। चांद से निकलने वाली किरणें सीधे खीर पर पड़ती है। 
    • चांद की किरणों के प्रभाव से खीर में औषधीय गुण शामिल हो जाते हैं। इस खीर को खाने से सांस संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। 
    • दमा रोगियों के लिए यह खीर अमृत समान ही होती है इसीलिए कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा बड़े पैमाने पर दमा रोगियों के लिए खीर बनाई जाती है।

     

  3. शरद पूर्णिमा से जुड़ी मान्‍यताएं

     

    शरद पूर्णिम को 'कोजागर पूर्णिमा' भी कहा जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्‍मी रात को विचरण करते हुए कहती हैं, 'को जाग्रति'। जिसका मतलब है कि 'कौन जगा हुआ है?' कहा जाता है कि जो भी व्‍यक्ति शरद पूर्णिमा के दिन रात में जगा होता है मां लक्ष्‍मी उन्‍हें उपहार देती हैं।

     

    • श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्‍ण ने ऐसी बांसुरी बजाई कि उसकी जादुई ध्‍वनि से सम्‍मोहित होकर वृंदावन की गोपियां उनकी ओर खिंची चली आईं। ऐसा माना जाता है कि कृष्‍ण ने उस रात हर गोपी के लिए एक कृष्‍ण बनाया। पूरी रात कृष्‍ण गोपियों के साथ नाचते रहे, जिसे 'महारास' कहा जाता है।
    • माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था। इस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है, जिसे 'कोजागरी लक्ष्‍मी पूजा' के नाम से जाना जाता है।
    • ओड‍िशा में शरद पूर्णिमा को 'कुमार पूर्णिमा' कहते हैं। इस दिन कुंवारी लड़कियां सुयोग्‍य वर के लिए भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं। लड़कियां सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद सूर्य को भोग लगाती हैं और दिन भर व्रत रखती हैं. शाम के समय चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। 
    • मान्‍यता है कि यही वो दिन है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्‍त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। हिन्‍दू धर्म में मनुष्‍य के एक-एक गुण को किसी न किसी कला से जोड़कर देखा जाता है।
    • माना जाता है कि 16 कलाओं वाला पुरुष ही सर्वोत्तम पुरुष है। कहा जाता है कि श्री हरि विष्‍णु के अवतार भगवान श्रीकृष्‍ण ने 16 कलाओं के साथ जन्‍म लिया था, जबकि भगवान राम के पास 12 कलाएं थीं।

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