Sunday, 1st June 2025

अमृतसर हादसा / मिठाइयां लेने निकले बच्चे भगदड़ में कुचले गए, रामलीला के रावण ने मरने से पहले 3 की जान बचाई

Sat, Oct 20, 2018 6:51 PM

  • जोड़ा रेलवे फाटक के नजदीक शुक्रवार शाम रावण दहन के वक्त हुआ हादसा
  • रेलवे ट्रैक पर खड़े 200 से ज्यादा लोग दो ट्रेनों की चपेट में आ गए; 70 की मौत, 142 घायल
  • हादसे के बाद ट्रैक के दोनों ओर लाशें पड़ीं थीं, उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा था
  • 10 मेल एक्सप्रेस, 27 पैसेंजर ट्रेन रद्द, 10 मेल एक्सप्रेस और दो पैसेंजर ट्रेनें आंशिक रूप से रद्द, 16 ट्रेनों के मार्ग बदले गए
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    अमृतसर. ट्रैक के पास नीरज की लाश पड़ी थी। उसके पिता सभी को दूर हटने के लिए कह रहे थे। उसके शब्द थे, ‘‘कोई ध्यान दो, इसे उठाकर ले चलो, यह मेरा बेटा है।’’ फिर वे दहाड़ मारकर रो पड़े।  एक पीड़ित ने बताया, ‘‘मैं अपने बच्चे को खिलौने और मिठाइयां दिलवाने की बात कहकर घर से लाया था। सोचा था कि वह रावण दहन देखने के बाद खुश होगा, लेकिन कुछ सेकंड में ही सब कुछ तबाह हो गया। मैं तो बच गया, लेकिन मेरी जिंदगी उजड़ गई।’’

     

    यह मंजर था जोड़ा फाटक का, जहां रावण दहन देख रहे 200 से ज्यादा लोग दो ट्रेनों की चपेट में आ गए। शुक्रवार शाम हुए इस हादसे में 70 की मौत हो गई और 142 लोग घायल हो गए। मारे गए बच्चों में ज्यादातर की मौत भगदड़ के दौरान पैरों के नीचे कुचले जाने की वजह से हुई। 

    नीरज के पिता ने कहा, ‘‘काश मैं रोक लेता। आज वह दशहरा देखने के लिए अकेला ही घर से निकल गया था। मुझे तो कुछ भी पता नहीं। किसी ने बताया कि घटना हुई है और मैं मौके पर पहुंच गया। बेटे को ढूंढ रहा था और उसकी लाश मिली। क्या बोलता घर जाकर। एक ही बेटा था, वह भी छोड़कर चला गया।’’ 

     

    10 साल पहले इसी ट्रैक पर पिता की मौत हुई थी : चार साल से रावण का किरदार निभाने वाले दलबीर सिंह (32) की भी इस हादसे में मौत हो गई। वे रामलीला का मंचन होने के बाद अपनी ड्रेस और स्मृति चिन्ह घर पर रखकर रावण दहन देखने जा रहे थे। उनकी आठ महीने की बेटी है। उनके बड़े भाई ने चश्मदीदों के हवाले से बताया कि दलबीर ने ट्रेन आती देखकर लोगों को ट्रैक से हटने को कहा। ट्रैक से खींचकर तीन लोगों की जान बचाई, लेकिन खुद ट्रेन की चपेट में आ गया। उन्होंने बताया कि 10 साल पहले इसी ट्रैक पर उसके पिता की भी मौत हुई थी।

     

    Ravan - Dalbeer

     

    भगदड़ मची तो माता-पिता से बच्चों का हाथ छूटा : हादसे में ज्यादातर बच्चों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से नहीं हुई, बल्कि पैरों से कुचले जाने से हुई। दरअसल, भगदड़ मची तो दूर खड़े माता-पिता के हाथों से उनके बच्चों की उंगलियां छूट गईं और लोग उन्हें रौंदते चले गए। हालात ये थे कि बच्चों की छोटी-छोटी चप्पलें, खिलौने, चाॅकलेट, टाॅफियां रेलवे ट्रैक पर बिखरी थीं। हादसे में कितने बच्चों की मौत हुई है, इसका सही अांकड़ा अभी सामने नहीं आया है। मारे गए बच्चों की उम्र चार साल से लेकर 13 साल है।

    पहचानना भी मुश्किल : ट्रेन की चपेट आने से कई लोगों के सिर बुरी तरह कुचल गए। चेहरा पहचानना भी मुश्किल था। कोई बहन का नाम लेकर चिल्ला रहा था, तो कोई बच्चों को खोज रहा था। चश्मदीदों ने बताया कि इस हादसे के बाद पटरियों के दोनों ओर खून से सनी लाशें पड़ीं थीं। बड़ी संख्या में लोग अपने परिजन की तलाश में जुटे थे। चारों तरफ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। किसी के हाथ कटे हुए थे तो किसी के पैर। लोग लाशों में अपनों के जिंदा होने की तलाश कर रहे थे। 

    स्थानीय लोगों ने कंबल लाकर दिए : मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए सबसे पहले पुलिस पहुंची। घटनास्थल के आसपास रह रहे लोग भी मदद के लिए आगे आए। उन्होंने लाशों को ढकने और उठाने के लिए घरों से चादरें और कंबल लाकर दिए। लाशों के कई टुकड़े हो गए थे। एक पुलिसवाले ने बताया कि लाशें उठाते वक्त समझ नहीं आ रहा था कि किसका पैर है और किसका हाथ है।

     

    amritsar train accident

     

    बेटे को ढूंढते हुए पहुंचा, ट्रैक पर मिली लाश

     

  • एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा- रेलवे ट्रैक के आसपास कोई बैरिकेडिंग नहीं की गई थी। हादसे के मंजर को देखा नहीं जा सकता। ट्रैक के आसपास खून से लथपथ लाशें बिखरीं हैं। 
  • एक चश्मदीद ने यह भी बताया कि पटरियों से महज 200 फीट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था। कार्यक्रम बिना इजाजत हो रहा था। 
  • एक और चश्मदीद ने कहा कि हर तरफ से लोगों के रोने-बिलखने की आवाज आ रही थी। इस हादसे के बाद लोग अपने परिजनों को तलाश रहे थे।
  • एक चश्मदीद ने कहा- 7 बजकर 10 मिनट पर पुतलों का दहन किया गया। अगर समय रहते यह सब हुआ होता तो हादसा बच सकता था। एक तो रोशनी होती और दूसरा उस वक्त ट्रेन का टाइम भी नहीं था। 
  • एक ने कहा- बेटा दशहरा देखने आया था। ढूंढते हुए यहां पहुंचा तो ट्रैक पर उसकी लाश पड़ी थी।
  • उधर, लोको पायलट का कहना है कि रावण का पुतला दहन होने की वजह से आसपास इतना धुआं था कि उसे ट्रैक पर खड़ी भीड़ नजर ही नहीं आई।

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