हिसार. बरवाला के सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल, उसके बेटे वीरेंद्र और 12 समर्थकों को कोर्ट ने बुधवार को हत्या के दूसरे केस में भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीआर चालिया ने कहा कि खुद को गॉडमैन बताने वाले चमत्कार का झूठा भरोसा दिलाकर लोगों की भावनाओं से खेलते हैं। फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग और एपल के स्टीव जॉब्स संघर्ष कर आविष्कार न करते तो पता ही नहीं चलता कि असली गॉडमैन कौन है? इसलिए मैं इसमें विश्वास नहीं रखता कि कोई गॉडमैन हमें गाइड कर सकता है और हमारे लिए शांति ला सकता है।
जज चालिया ने कहा कि भारत ही नहीं दुनिया में तमाम गुरु और गॉडमैन लोगों को गाइड भी कर रहे हैं और रास्ता भी दिखा रहे हैं। कोई गॉडमैन समाज को धमकाता नहीं हैं, लेकिन यह केस (सतलोक आश्रम में हत्याओं का मामला) हमें सोचने पर मजबूर करता है। वर्तमान में आर्थिक असमानता के कारण हालात खराब हैं। इन हालात में ऐसे स्वयंभू गॉडमैन और गुरु लोगों को चमत्कार का भरोसा दिलाकर उनकी भावनाओं से खेलते हैं। लोगों को बरगलाते हैं। गुमराह कर साथ जोड़ते हैं। फिर लोगों का गलत इस्तेमाल करते हैं।
कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया : कोर्ट ने रामपाल समेत 14 दोषियों को 2 लाख 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर दो साल की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। आश्रम में एक महिला की हत्या, लोगों को बंधक रखने और आपराधिक साजिश के आरोप में 19 नवंबर 2014 को दर्ज मुकदमा नंबर-430 में यह सजा सुनाई गई।
गवाही से मुकरने वालों को पेश होने को कहा : कोर्ट ने एक बच्चे और चार महिलाओं की हत्या के केस नंबर-429 में मंगलवार को रामपाल सहित 15 दोषियों को यही सजा सुनाई थी। दोनों केसों में गवाही से मुकरने वाले 12 लोगों को कोर्ट ने समन जारी कर पेश होने को कहा है। इन पर आईपीसी की धारा 195 के तहत मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।
जॉब्स 1970 में भारत आए थे : पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे। इस दौरान वे फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग के साथ एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस दौरान जकरबर्ग ने बताया था कि फेसबुक के शुरुआती दिनों में जब वे कंपनी को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे, तब एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत जाने की सलाह दी थी। ऐसा कहा गया कि जॉब्स ने उन्हें उत्तराखंड स्थित नैनीताल के कैंची धाम आश्रम जाने को कहा था। जॉब्स खुद एपल शुरू करने से पहले 1970 के दौर में यहां आए थे। जॉब्स को यहीं कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली थी।
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