राकेश पाण्डेय। रायपुर. विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। छत्तीसगढ़ के सियासी पंडितों का मानना है कि सत्ता के गलियारे के रास्ते बस्तर के आदिवासी इलाकों से होकर गुजरते हैं, लेकिन इस बार यह मिथक टूटता नजर आ रहा है। बसपा और जोगी कांग्रेस के बीच गठबंधन ने प्रदेश के सियासी समीकरण को बदल दिया है।
प्रदेश की 90 में से 30 सीटें ऐसी हैं, जहां इस बार त्रिकोणीय संघर्ष के हालात हैं। इनमें से अधिकांश बिलासपुर संभाग में हैं। बसपा-जोगी गठबंधन के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच और निर्दलीय त्रिकोणीय संघर्ष के बीच वोट काटने का काम करेंगे।
यही वजह है कि अब तक भाजपा-कांग्रेस के अलावा जोगी कांग्रेस-बसपा गठबंधन के स्टार प्रचारकों के फोकस में यही संभाग है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ माह पहले ही बिलासपुर आए थे। वे फिर आएंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बिलासपुर के अलावा सरगुजा में भी सभाएं कर चुके हैं।
पिछले एक महीने के अंदर मोदी-शाह के अलावा मायावती-जोगी ने बड़ी सभाएं कर अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। आने वाले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी बिलासपुर में बड़ी रैली करने वाले हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में बिलासपुर संभाग की 24 सीटों में से भाजपा ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं कांग्रेस को 11 सीटों पर जीत मिली थी।
बसपा को एकमात्र जैजैपुर सीट पर जीत मिली थी। भाजपा ने जिन सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें तीन सीटें अनुसूचित जाति और एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व थी। दूसरी तरफ, कांग्रेस को तीन एसटी सीटों के साथ ही एक एससी सीट पर जीत मिली थी।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और जोगी कांग्रेस के गठबंधन के बाद से बिलासपुर संभाग में कांग्रेस का सियासी समीकरण बिगड़ सकता है। संभाग की 11 में से मरवाही से अमित जोगी और बिल्हा से सियाराम कौशिक ने 2013 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीता था, लेकिन इस बार दोनों जोगी कांग्रेस से उम्मीदवार होंगे। बसपा से गठबंधन के बाद इन दोनों सीटों पर बसपा का वोट भी इनके खाते में जाएगा। इसके अलावा कोटा से रेणु जोगी ने चुनाव जीता था, लेकिन इस बार कांग्रेस उन्हें टिकट देने के मूड में नहीं दिख रही है। ऐसे में रेणु जोगी का स्टैंड कांग्रेस को मुश्किल में डाल सकता है। पाली-तानाखार सीट से कांग्रेस विधायक रहे रामदयाल उइके पार्टी छोड़कर कांग्रेस की मुश्किल पहले ही बढ़ा चुके हंै। बिलासपुर संभाग की 11 सीटें ऐसी हैं, जिनपर बसपा का खासा वोट बैंक है। 2013 के चुनाव में वह इन सीटों पर पहले स्थान से लेकर तीसरे स्थान पर रही। ऐसे में गठबंधन के बाद वोटों के ध्रुवीकरण से संभाग की 15 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। अब तो सीपीआई भी इस गठबंधन से जुड़ गया है।
बसपा का राज्य की 16 सीटों पर 2 फीसदी से लेकर 33 फीसदी तक जनाधार है। इनमें से 11 सीटें बिलासपुर संभाग की हैं। बिलासपुर संभाग में बसपा के प्रभाव वाली सीटों में चंद्रपुर, जैजैपुर, पामगढ़, तखतपुर, जांजगीर, सारंगढ़, अकलतरा, सक्ती, बेलतरा, मस्तूरी और मुंगेली शामिल हैं। इसके अलावा इस संभाग में जनता कांग्रेस के प्रभाव वाली सीटों में मरवाही, कोटा, लोरमी, मुंगेली, तखतपुर, बिल्हा, मस्तूरी और अकलतरा शामिल हैं।
सारंगढ़, लैलूंगा, जांजगीर-चांपा, अकलतरा, सक्ती, पामगढ़, जैजैपुर, चंद्रपुर बिलाईगढ़, कसडोल, तखतपुर, मरवाही, कोटा, बिल्हा, लोरमी, बेलतरा, राजनांदगांव, मनेंद्रगढ़, खल्लारी, बलौदा बाजार, गुंडरदेही, मस्तूरी, बेमेतरा, दंतेवाड़ा, कोंटा, खुज्जी, नवागढ़, भाटापारा, महासमुंद और रायपुर ग्रामीण।
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