वॉशिंगटन. अमेरिका में एक भारतीय वैज्ञानिक के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। 29 साल के करन जानी नाम के इस वैज्ञानिक ने आरोप लगाया है कि उसे और उसके तीन दोस्तों को अटलांटा में एक गरबा कार्यक्रम में इसलिए नहीं घुसने दिया गया, क्योंकि उन्हें हमारे नाम और सरनेम हिंदुओं जैसे नहीं लगे। करन का कहना है कि वह पिछले 6 सालों से अटलांटा में ही गरबा करने जा रहा था, लेकिन पहले कभी उन्हें ऐसी परेशानी से नहीं गुजरना पड़ा। मैंने उनसे गुजराती में बात भी की, लेकिन उन्होंने हमें हिंदू मानने से इनकार कर दिया।
करन ने इस घटना का जिक्र अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी किया। उन्होंने लिखा, “अटलांटा के शक्ति मंदिर में मेरे और मेरे दोस्तों की एंट्री नहीं दी, क्योंकि मेरे एक दोस्त के नाम ‘वाला’ से खत्म हुआ था और आयोजकों को यह हिंदू सरनेम की तरह नहीं लगा।”
करन ने ट्वीट में बताया कि एक कार्यकर्ता ने उनसे कहा कि हम तुम्हारे कार्यक्रम में नहीं आते, इसलिए तुम हमारे कार्यक्रम में नहीं आ सकते। जब एक महिला मित्र ने कार्यकर्ता से कहा कि वह कन्नड़-मराठी समुदाय से है, तो कार्यकर्ता ने पहचानने से इनकार करते हुए कहा कि तुम इस्माइली (मुस्लिमों का एक समुदाय) लगती हो।
करन के मुताबिक उन्होंने अमेरिका में अपने 12 साल के करियर में कभी इस तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया। यहां तक की अमेरिकी भी अच्छे से पेश आते हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना का जिक्र करने से पहले करन ने श्रीशक्ति मंदिर को को ईमेल भी किया था। बाद में प्रबंधन ने इस घटना के लिए खेद जताया।
करन 2016 में वैज्ञानिकों की गुरुत्वाकर्षण तरंगों पर खोज करने वाली ‘लिगो’ टीम में शामिल किए गए थे। वह मूलत: गुजरात के वडोदरा के रहने वाले हैं। पिछले 12 सालों से अस्थाई तौर पर अमेरिका में ही रह रहे हैं।
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