वॉशिंगटन। बीते एक सप्ताह से लापता सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खाशोगी की तस्वीर द वाशिंगटन पोस्ट ने मंगलवार को प्रकाशित की है। बताया जा रहा है कि संभवत: यह उनकी अंतिम उपलब्ध तस्वीर है। इस तस्वीर में वह इंस्ताबुल स्थित सऊदी दूतावास के अंदर जाते दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि इसके बाद खाशोगी को दोबारा नहीं देखा गया है।
अखबार ने दावा किया है कि इस मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने यह तस्वीर साझा की है। इस बीच, तुर्की के जांच अधिकारियों ने कहा कि उन्हें डर है कि खाशोगी की दूतावास में हत्या कर दी गई है। हालांकि, सऊदी अरब ने हत्या के आरोपों को आधारहीन करार देते हुए बीते सात दिनों की सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराने से इनकार कर दिया है।
बताते चलें कि खाशोगी (59) तुर्की में रहने वाली मंगेतर से शादी करने वाले थे। इसी संबंध में वह दूतावास गए थे और इसके बाद से वह लापता हो गए हैं। खशोगी की मंगेतर ने बताया कि वह कई घंटों तक दूतावास के बाहर उनका इंतजार करती रहीं, लेकिन वह बाहर नहीं निकले।
खाशोगी की मंगेतर केंगिज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपने होने वाले पति का पता लगाने में मदद की गुहार लगाई है और कहा कि वह अपने सिद्धांतों के लिए लड़ रहे थे। ट्रंप ने सोमवार को खाशोगी मामले में चिंता जाहिर की थी और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने पूरी तरह जांच किए जाने की जरूरत पर जोर दिया था।
बताते चलें कि किंग सलमान के पुत्र प्रिंस मोहम्मद के उदय के बाद उन्होंने सऊदी अरब छोड़ दिया था। वह पिछले सात वर्षों से अमेरिका में रह रहे थे और वाशिंगटन पोस्ट से जुड़े थे।
सऊदी के खिलाफ खुलकर लिखा
उन्होंने सऊदी अरब के खिलाफ बड़े पैमाने पर लिखा थे, जिसमें यमन युद्ध की आलोचना, कनाडा के साथ राजनयिक विवाद शामिल हैं। इन सभी मुद्दों को प्रिंस मोहम्मद की छवि को नुकसान पहुंचा था। जमाल कभी सऊदी के शाही परिवार के सलाहकार हुआ करते थे। मगर, धीरे-धीरे वो सऊदी सरकार के प्रखर आलोचक बन गए और पिछले साल देश छोड़कर चले गए।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने सऊदी अरब से खाशोगी के दूतावास छोड़ने के सबूत देने को कहा है। उन्होंने कहा कि जब एक व्यक्ति अंदर जाता है, तो यह किस की जिम्मेदारी है कि साबित करे वह बाहर निकला या नहीं। यह दूतावास अधिकारियों की जिम्मेदारी है। वह सबूत दें कि जमाल ने दूतावास को छोड़ दिया था।
ओसामा के उदय को करीब से देखा
जमाल का जन्म 1958 के दौरान मदीना में हुआ था। अमेरिका के इंडिआना स्टेट विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन करने के बाद वह सऊदी अरब लौट आए और 1980 में एक पत्रकारिता शुरू कर दी। एक क्षेत्रीय अखबार में रिपोर्टर का काम करते हुए वह अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण की खबरों को कवर करते थे।
इस दौरान उन्होंने आतंकी संगठन अल-कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को बढ़ते हुए करीब से देखा और 1980 और 1990 के दशक में कई बार ओसामा का इंटरव्यू भी लिया। साल 2003 में अल वतन अखबार के संपादक बन गए, लेकिन सऊदी के शाही परिवार की आलोचना वाली खबरें छापने की वजह से उन्हें जल्द ही नौकरी से निकाल दिया गया था।
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