Sunday, 20th July 2025

घर लौट रहे उत्तर भारतीयों ने सुनाई आपबीती, कहा- साहब, न भागते तो मार दिए जाते

Tue, Oct 9, 2018 6:35 PM

वाराणसी। सूरत (गुजरात) की विमल डेयरी कंपनी में काम करने वाली इंदू देवी सहमी हुई थीं। चेहरे पर मायूसी थी, कुरेदा तो दर्द जुबां पर छलक आया। आंखें नम हो उठीं और बताया कि संगठनों और स्थानीय दबंगों द्वारा लगातार धमकी मिल रही थी। वे कहते थे कि अगर वापस नहीं जाओगे तो सभी मार दिए जाओगे...। इसी डर से बच्चों को साथ लिए वापस अपने घर सासाराम जा रहे हैं...।

इंदू तो सिर्फ बानगी भर है, ऐसे सैकड़ों लोग सोमवार को गुजरात से वापस लौटे। वे अहमदाबाद से वाराणसी आने वाली साबरमती एक्सप्रेस से वाराणसी कैंट स्टेशन पहुंचे। दोपहर करीब 12 बजे स्टेशन पहुंची ट्रेन से उतरे लोगों में जहां सकुशल वापस आने की राहत थी, वहीं काम को लेकर चिंता की लकीरें भी देखी जा रही थीं।

गुजरात से लौटे लोगों ने बताया कि कुछ संगठन के लोगों ने आठ अक्टूबर तक लौट जाने की बात कही थी। धमकी दी गई थी कि न लौटने पर मारपीट और घरों में आगजनी की जाएगी। अमूमन लखनऊमें खाली हो जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस पूरी तरह यात्रियों से खचाखच भरी थी। दरअसल, गुजरात के साबरकांठा में 14 वर्षीय किशोरी के साथ बिहार के युवक द्वारा दुष्कर्म की घटना के बाद से ही हालात बिगड़ने लगे थे।

ध्यान दें प्रधानमंत्री मोदी

 

सूरत में कपड़ा गोदाम में काम करने वाले बिहार के सासाराम निवासी जियालाल ने बताया कि 26 साल से गुजरात में रहकर घर चला रहे थे। गरीबी इतनी कि 8000 रुपए में ही गुजर-बसर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को हमारी दशा पर ध्यान देना चाहिए। अगर उनके गृह राज्य (गुजरात) में ऐसे हालात हैं तो काम करने की आजादी कहां रह गई।

गुजरात का ऐसा रूप पहली बार देखा

 

अपने पति के साथ सूरत की एक फैक्ट्री में काम करने वाली बहराइच, उप्र निवासी सपना ने कहा कि पहली बार गुजरात के लोगों का ऐसा चेहरा देखा। जो हुआ वो गलत था, लेकिन सभी को उसकी सजा देना गलत है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों से कई बार तो रात में डर के चलते नींद नहीं आती थी। जरा-सी आहट से लगता था कि 2002 की हिंसा के बाद अब हम लोग नहीं बचेंगे।

शरारती तत्वों ने कहा, दो घंटे में मकान खाली कर बिहार लौट जाओ

 

गुजरात से बिहारियों का पलायन तेज हो गया है। सोमवार को भागकर सिवान पहुंचे दो राजमिस्त्रियों और शेखपुरा पहुंचे आठ मजदूरों ने वहां के हालात को विकट बताया। इन्होंने 46 लोगों को फैक्ट्री मालिक द्वारा बंधक बना कर रखने की जानकारी दी। सिवान के हरिहरपुर कला गांव निवासी मनोज कुमार और कालीचरण महतो ने बताया कि वे पांच वर्ष से गांधीनगर जिले के धवला कुआं में राजमिस्त्री का काम करते थे।

शरारती तत्वों ने उन्हें दो घंटे में मकान खाली कर लौटने को कहा और दुर्व्यवहार किया। वहीं शेखपुरा के महिसौना गांव लौटे आठ लोगों ने बताया कि 46 लोगों को अहमदाबाद में प्लास्टिक फैक्ट्री मालिक ने बंधक बना लिया है। परिजनों ने डीएम से मिलकर उनकी सुरक्षा की गुहार लगाई है। गुजरात में फंसे ये लोग महिसौना गांव के रहने वाले हैं।

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