रायपुर। प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना को लेकर स्वास्थ्य विभाग और आईएमए, हॉस्पिटल बोर्ड के बीच विवाद सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है। पुराने बकाया और योजना के पैकेज रेट को लेकर विवाद सुलझा नहीं था कि बीमा कंपनी रिलीगेयर के आयुष्मान मित्रों ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया। कांकेर, जांजगीर चांपा समेत तीन जिलों में आयुष्मान मित्रों ने अस्पताल संचालकों को यह कह दिया कि काम नहीं कर पा रहे हैं तो लॉगइन आईडी और पासवर्ड वापस कर दें।
यह खबर आइएमए और हॉस्पिटल बोर्ड के पदाधिकारियों तक पहुंची तो उन्होंने तत्काल निर्णय लेते हुए जिला इकाई को निर्देश दिए कि वे सीएमएचओ से मुलाकात करें और उन्हें पत्र सौंपें कि लॉगइन आईडी और पासवर्ड वापस कर रहे हैं, इस तरह से दबाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि अभी आयुष्मान योजना के तहत तय किए गए इलाज के पैकेज रेट को लेकर विवाद जस का तस बना हुआ है। पहले से ही ये स्पष्ट है कि आरएसबीवाई की दरों पर इलाज नहीं होगा। बता दें कि 16 सितंबर के बाद से रोजाना निजी अस्पतालों से 2200 से 2500 मरीज बिना इलाज लौटाए जा रहे हैं।
बीमा कंपनी को नहीं है अधिकार
नईदुनिया से बातचीत में संचालकों ने कहा है कि बीमा कंपनी को अधिकार नहीं है कि वे हमें डराए- धमकाए। स्वास्थ्य विभाग लॉगइन आईडी पासवर्ड मांग सकता है ना कि बीमा कंपनी।
10 तक जारी कर देंगे पूरी राशि
कड़े विरोध के बाद बुधवार को यह स्पष्ट हो गया था कि स्वास्थ्य विभाग 40 करोड़ बकाया राशि जारी करना शुरू कर देगा। गुरुवार को पहली किश्त के करीब 13 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। स्वास्थ्य आयुक्त आर प्रसन्ना का कहना है कि 10 अक्टूबर तक सारी राशि जारी कर दी जाएगी।
क्या है आईडी-पासवर्ड
केद्र सरकार, राज्य नोडल एजेंसी सयुंक्त रूप से बीमा कंपनी को लॉगइन आईडी और पासवर्ड जारी करती है। बीमा कंपनी रेलिगेयर के आयुष्मान मित्र जो अस्पतालों में नियुक्त किये गए हैं, वे इनका इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिये ही मरीजों की एंट्री, डिस्चार्ज कार्ड बनता है। फिर इसके जरिये ही क्लेम होता और अस्पताल को इलाज की राशि जारी होती है।
परिस्थितियां और जटिल हो रहीं
स्वास्थ्य विभाग और बीमा कंपनी द्वारा जिस तरह की परिस्थितियां पैदा की जा रही हैं, उसमें काम कर पाना और भी ज्यादा मुश्किल हो रहा है।
- डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, हॉस्पिटल बोर्ड
डॉक्टर का अपना सम्मान है
बीमा कंपनी और उनके आयुष्मान मित्रों को कोई अधिकार नहीं है कि वह अस्पताल संचालकों से यह कहे कि काम नहीं कर पा रहे हैं तो लॉगइन आईडी पासवर्ड जमा कर दें। डॉक्टर की भी अपनी डिग्निटी है, उस पर किसी भी तरह से चोट बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
- डॉ. अशोक त्रिपाठी, अध्यक्ष, प्रदेश आईएमए
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