Saturday, 31st May 2025

महाभारत छत्तीसगढ़ / फिर चौंका सकती हैं रायपुर संभाग की सीटें, ट्रेंड बदलने की तासीर, आठ पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार भी

Tue, Oct 2, 2018 6:39 PM

  • रायपुर संभाग की 20 सीटों में सरकारी मोबाइल, सीडी कांड से लेकर पेट्रोल-डीजल तक की चर्चा, गांवों के अपने मुद्दे भी 
  • स्थानीय समस्याओं के साथ ही राष्ट्रव्यापी मुद्दे भी डाल रहे असर, भाजपा-कांग्रेस के सीधे मुकाबले में जोगी कांग्रेस गठबंधन का भी पेंच 

 

 रायपुर. छत्तीसगढ़ बनने के बाद तीन चुनावों में हर बार ट्रेंड बदलने वाले रायपुर संभाग में फिर समीकरण गड़बड़ाते दिख रहे हैं। संभाग की 20 सीटों में से खासकर 9 में जातीय समीकरण हावी है तो 8 पर त्रिकोणीय संघर्ष के हालात हैं। रोचक राजनीतिक संघर्ष में सरकारी मोबाइल और सीडी कांड की गूंज है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी जुबान पर है। किसानों को धान बाेनस का इंतजार है। फिर भी यह दावा कठिन है कि किसी एक कारण से चुनाव प्रभावित होगा।

पिछले चुनाव की तुलना में इस बार मुकाबला ज्यादा करीबी

  1.  

    स्थानीय समस्याएं तो हैं ही, राज्यव्यापी मुद्दे भी कहीं न कहीं असर डाल रहे हैं। कहीं एंटीइन्कंबेंसी के साथ-साथ बदलाव की चर्चा है तो कहीं स्थानीय विधायक से नाराजगी जुबान पर है। लिहाजा पिछले चुनाव की तुलना में इस बार मुकाबला कुछ अधिक करीबी दिख रहा है।

     

  2. छत्तीसगढ़ चुनाव : रायपुर संभाग की सीटों की स्थिति (इलेस्ट्रेशन)

     

    पिछले चुनाव की दृष्टि से देखा जाए तो कहा जा सकता है कि रायपुर संभाग की सीटों ने भाजपा-कांग्रेस के बीच सीटों का अंतर काफी बढ़ा दिया था। 20 में से 15 सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर राज्य मेें सत्ता की राह आसान कर ली थी। इस बार परिस्थितियां बदली हुईं हैं। 

     

  3.  

    भाजपा और कांग्रेस के सीधे मुकाबले में बसपा-जोगी कांग्रेस का गठबंधन का पेंच भी आ गया है। इस कारण 8 सीटों में वोट जिसका अधिक कटा, उसे नुकसान होगा। यही वजह है कि संभाग फिर चौंकाने वाले नतीजे दे सकता है। चूंकि 9 सीटों पर जातीय समीकरण का बोलबाला है, इस कारण दोनों ही दल उसके हिसाब से प्रत्याशी चयन और रणनीति में जुटे हैं। 

     

  4. चौपाल से...पहले प्रत्याशी तो आएं, फिर बताएंगे 

     

    छत्तीसगढ़ चुनाव : चौपाल डमी फोटो

     

    धमतरी से लगा हुआ गांव टोड़की। करीब दो हजार की आबादी वाले इस गांव में सड़क की हालत खराब है। नाली की भी जरूरत है। श्मशान घाट काे मरम्मत चाहिए। भारी बारिश में गलियों में पानी भर जाता है। ग्रामीणों के साथ बैठे सरपंच टीकाराम सिन्हा का कहना है, हमारे लिए महत्वपूर्ण है यहां काम होना। विधायक पर आरोप लगाएं या फिर सरकार पर, यह मायने नहीं रखता। टीकाराम और ग्रामीण इसलिए किसी एक तरफ की प्रतिबद्धता दर्शाने से परहेज करते रहे। पर उनकी बातों से लगा कि इस बार कैंडीडेट जब प्रचार के लिए आएंगे तो इन्हीं मांगों से दाे-चार होना पड़ेगा। दूसरे क्षेत्रों की तरह यहां भी लोग अपने गांव की तरक्की देखना चाहते हैं। 

     

इन 9 सीटों पर जातीय समीकरण का खेल

  1.  

    सरायपाली: ओडिशा से लगा क्षेत्र। गाड़ा, सतनामी समाज की बहुलता। सुर्खियों में विधायक की सक्रियता। हो सकता है, चुनाव इसी आरोप के आसपास सिमटा नजर आए।

     

  2.  

    बसना: ट्राइबल, अघरिया जाति की बहुलता। विधायक के कामकाज पर बात करने वाले अधिक मिले। विकास नहीं होने से नाराजगी भी। बेरोजगारी, सड़क और पानी प्रमुख मुद्दा है। 

     

  3.  

    बिलाईगढ़: कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. शिव डहरिया के लिए कांग्रेस में ही चुनौती। बसपा की मौजूदगी से संघर्ष त्रिकोणीय। भाजपा नेताओं के चेहरे खिले। 

     

  4.  

    आरंग: कांग्रेस के पूर्व विधायक रुद्र गुरु के क्षेत्र बदलने की सबसे अधिक चर्चा। भाजपा विधायक नवीन मार्कंडेय के लिए भीतरी चुनौती भी। फिलहाल इंतजार चेहरों का। 

     

  5.  

    अभनपुर: कांग्रेस विधायक धनेंद्र साहू और भाजपा के पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू की प्रतिद्वंद्विता सबसे बड़ा मुद्दा। एक बार के बाद कोई भी दूसरा चुनाव नहीं जीत पाया है। 

     

  6.  

    बिंद्रानवागढ़: आदिवासी बहुल इलाके का विकास न होना सबसे बड़ा मुद्दा। चेहरों को लेकर संशय। ऐसे में चुनावी माहौल भी कम नजर आ रहा है। भाजपा की किलेबंदी साफ दिख रही है। 

     

  7.  

    सिहावा: आदिवासी बहुल इलाका। हर बार नतीजे बदले हैं। चेहरों का इंतजार। कांग्रेस से नाम तय नहीं। विधायक की सक्रियता भी चर्चा में। विकास नहीं हाेने से नाराजगी भी। 

     

  8.  

    कुरूद: मंत्री अजय चंद्राकर ही सबसे बड़ा मुद्दा। कार्यों को लोग मानते हैं, लेकिन व्यवहार से नाराजगी भी। चर्चा है, कांग्रेस कैंडीडेट चंद्राकर समाज से ही होगा। सबसे ऊपर नीलम चंद्राकर। 

     

  9.  

    रायपुर उत्तर : विधायक श्रीचंद सुंदरानी को सिंधी समाज का सीधा फायदा दिख रहा। पर सामने कांग्रेस से कौन होगा, तय नहीं। कुलदीप जुनेजा की सक्रियता चर्चा में। कामों को लेकर कोई बात नहीं। 

     

...और 8 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला 

  1.  

    खल्लारी: साहू, आदिवासी समाज के लोगों के वोट निर्णायक। कांग्रेस प्रत्याशी रहे परेश बागबाहरा अब जोगी कांग्रेस में। अभी से त्रिकोणीय संघर्ष की रोचक स्थिति। 

     

  2.  

    महासमुंद: चंद्राकर बहुल इलाका। निर्दलीय विधायक डॉ. विमल चोपड़ा की सक्रियता चर्चा में। कांग्रेस, भाजपा से चंद्राकर प्रत्याशी रहे हैं। मुकाबले में इस बार चेहरे पर ही मुख्य फोकस। 

     

  3.  

    कसडोल: स्पीकर गौरीशंकर फिर मैदान में। जोगी कांग्रेस ने घोषित प्रत्याशी को वापस लिया। बसपा को सीट दी। कांग्रेस से पूर्व विधायक महंत रामसुंदर दास का नाम चर्चा में। 

     

  4.  

    भाटापारा: पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी रहे चैतराम साहू अब जोगी कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे हैं। मुद्दे के बजाय चेहरों पर बात अधिक हो रही है। 

     

  5.  

    धरसींवा: विधायक देवजी पटेल के सामने कांग्रेस कुर्मी कैंडीडेट उतारने की तैयारी में। किरणमयी, शैलेष वर्मा और देवव्रत नायक,उधो वर्मा के नाम की चर्चा। जोगी कांग्रेस से पूर्व मंत्री विधान मिश्रा उतरेंगे। 

     

  6.  

    रायपुर ग्रामीण: कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा के सामने भाजपा के चेहरे का इंतजार। जोगी कांग्रेस से ओमप्रकाश देवांगन की मौजूदगी से संघर्ष त्रिकोणीय हो सकता है। साहू समाज काफी अाक्रामक है। 

     

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