नई दिल्ली. शिक्षा पर खर्च के मामले में भारत की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। इस क्षेत्र में खर्च के मामले में भारत का दुनिया में 136वां स्थान है। जरूरत के मुताबिक कम खर्च और क्वालिटी एजुकेशन की कमी को युवा सबसे बड़ी चिंता मानते हैं। एक ताजा इंटरनेशनल सर्वे के मुताबिक 86% नौजवान भारत के भविष्य को लेकर आशावादी तो हैं, लेकिन इनमें से 33% युवाओं ने शिक्षा की कमी को चिंता का विषय बताया।
दुनिया में शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश नॉर्वे है। यह अपनी जीडीपी का 6% से ज्यादा खर्च करता है। हालांकि, बच्चों को पढ़ाने और उनका होमवर्क कराने में वक्त देने के मामले में भारतीय दुनिया में पहले नंबर पर आते हैं।
बड़े देशों का शिक्षा पर खर्च
भारत में इस बार के आम बजट में शिक्षा क्षेत्र को कुल 85 हजार 10 करोड़ रुपए मिले हैं। यह पिछले साल के संशोधित बजट से सिर्फ 3 हजार 141 करोड़ रुपए ज्यादा है। इस तरह देश के शिक्षा बजट में इस साल महज 3.69% का ही इजाफा हुआ। साल 2012-13 में शिक्षा क्षेत्र पर होने वाला खर्च जीडीपी का 3.1% था। वहीं 2014-15 में यह खर्च 2.8% और 2015-16 में यह 2.4% पर आ गया। हालांकि, 2016-17 और 2017-18 में इसमें थोड़ी वृद्धि हुई और अब यह आंकड़ा 2.7% पर आ गया है।
नर्सरी से लेकर अंडर ग्रेजुएट कोर्स तक बच्चों की पढ़ाई पर हॉन्गकॉन्ग, यूएई, सिंगापुर और अमेरिका के लोग औसतन सबसे ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। वहीं, ब्रिटेन, कनाडा और भारत में यह आंकड़ा 25 लाख रुपए से कम है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के एक सर्वे के मुताबिक, बच्चों की पढ़ाई और होमवर्क पूरा करने में मदद करने में भारतीय पैरेंट्स सबसे ज्यादा वक्त देते हैं। भारतीय हर हफ्ते औसतन 12 घंटे का समय बच्चों की पढ़ाई में उनकी मदद करने में बिताते हैं। ब्रिटेन और जापान के पैरेंट्स इस मामले में सबसे कम वक्त देते हैं।
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