Saturday, 19th July 2025

फैसला / सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पत्नी का मालिक नहीं है पति, व्यभिचार को अपराध नहीं माना जा सकता

Thu, Sep 27, 2018 6:20 PM

  • व्यभिचार को अपराध मानने वाली धारा 497 को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताया
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- समाज जो चाहता है, महिला को वैसा सोचने के लिए नहीं कहा जा सकता

 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को व्यभिचार की धारा 497 को खत्म कर दिया। कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार अपराध नहीं है। इसके साथ ही यह भी कहा कि पति, पत्नी का मालिक नहीं है। शीर्ष अदालत आज एक अन्य अहम मुद्दे पर फैसला दे सकता है। इसमें तय किया जाएगा कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं?

 

और क्या कहा कोर्ट ने?

 

  • चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, "पत्नी का मालिक नहीं है पति। समाज जो चाहता है महिला को वैसा ही सोचने के लिए नहीं कहा जा सकता।"
  • "व्यभिचार कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह कानून मनमाना और अतार्किक है। शादी के बाद संबध अपराध नहीं।"
  • "एक पवित्र समाज में व्यक्तिगत मर्यादा महत्वपूर्ण है।
  • "हालांकि, व्यभिचार अब भी रहेगा तलाक का आधार। हमारा संविधान मैं, तुम और हम पर आधरित है।"

अयोध्या जमीन विवाद से जुड़ा है नमाज विवाद : मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं इस पर कोर्ट बताएगा कि यह मामला संविधान पीठ को रेफर किया जाए या नहीं। तीन जजों की बेंच ने इस मुद्दे पर 20 जुलाई को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है : माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर सीधे अयोध्या के जमीन विवाद मामले पर पड़ सकता है। दरअसल, 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है और इसके लिए मस्जिद अहम नहीं है। तब कोर्ट ने कहा था कि सरकार अगर चाहे तो जिस हिस्से पर मस्जिद है उसे अपने कब्जे में ले सकती है। 

 

जमीन विवाद से पहले यह मामला निपटाना जरूरी : मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उस वक्त कोर्ट का फैसला उनके साथ अन्याय था और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जमीन बंटवारे के 2010 के फैसले को प्रभावित करने में इसका बड़ा किरदार था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का जमीन बंटवारे के मुख्य मामले में किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस मामले को निपटाना चाहिए। 
 

हाईकोर्ट ने जमीन तीन हिस्सों में बांटने का दिया था फैसला : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या की 2.7 एकड़ विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था- एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए। दूसरे हिस्से का मालिकाना हक निर्मोही अखाड़े को मिले और तीसरा हिस्सा रामलला विराजमान का प्रतिनिधित्व करने वाले पक्ष को मिले।

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