अहमदाबाद. दस दिनों तक विधि-विधान से पूजा करने के बाद रविवार को यहां के कृत्रिम तालाबों और साबरमती नदी में गणेश विसर्जन किया गया। विसर्जन के बाद जिस प्रकार भगवान गणेश की मूर्तियों की दुर्दशा दिखाई दी, इससे यही लगता है कि मूर्तियां स्थापित कर घर में विसर्जित किए होते तो यह स्थिति नहीं होती। कई जगह गणेश की मूर्तियों को जेसीबी और क्रेन से तोड़ा गया। सोमवार को डंपरों ने शहर में से 184 फेरे लगा कर मूर्तियों के 527 टन मलबे का डपिंग ग्राउंड में डाला।
लोगों का जागरूक होना जरूरी: एक जेसीबी ड्राइवर ने बताया कि हमारी भावनाएं भी आहत होती हैं, लोग घर में ही विसर्जन करें। इससे हमारा काम बढ़ जाता है। शहर से कचरा हटाने का काम पूरी तरह से ठप हो जाता है। लोगों को समझना होगा, हमें भी अच्छा नहीं लगता है। मूर्तियों को इस प्रकार डंपर में भरकर डंपिंग साइट पर डालने से हमारी भावनाएं भी आहत होती हैं, पर क्या करें? यह तो नौकरी है...।
जिम्मेदारों पर उचित कार्रवाई करेंगे: अहमदाबाद की महापौर बीजल पटेल ने कहा मुझे नहीं पता किसके निर्देश पर ऐसा हुआ है। हां, मैं स्वीकार करती हूं कि- ऐसा नहीं होना चाहिए। मुद्दा श्रद्धा का है। इसलिए धार्मिक भावनाओं का आहत होना स्वाभाविक है। हम जांच कर जिम्मेदारों पर उचित कार्रवाई करेंगे।
भास्कर ने चलाया अभियान: दैनिक भास्कर समूह कई वर्षों से 'मिट्टी के गणेश-घर में ही विसर्जन' अभियान चला रहा है। इसका मूल उद्देश्य यही है कि हम अपने तालाब और नदियों को प्रदूषित होने से बचा सकें। इसलिए आप घर या कॉलोनी में कुंड बनाकर विसर्जन करें और उस पवित्र मिट्टी में एक पौधा लगा दें। इससे न सिर्फ ईश्वर का आशीर्वाद, बल्कि उनकी याद भी साल दर साल घर-आंगन में महकती रहेगी। यह पौधा बड़ा होकर पर्यावरण में योगदान देगा। साथ ही घर में नई समृद्ध परंपरा का संचार होगा। दैनिक भास्कर के अभियान से जुड़ते हुए कई लोगों ने घर में इस बार मिट्टी के गणेश की स्थापना की थी। हमारा मकसद यही था कि हानिकारिक पीओपी की बजाय लोग ईको फ्रेंडली तरीके से मिट्टी के गणेश की प्रतिमा को प्राथमिकता दें।
Comment Now